गर्लफ्रेंड मॉम सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे गाँव के स्कूल की दोस्त मुझे शहर में मिल गयी. हमारी आपस में सेटिंग हो गयी. मैं उसकी चुदाई करना चाहता था पर … हाय दोस्तो, मैं राहुल वैद्या, उम्र 26 वर्ष, हाइट 5 फीट 10 इंच, रंग गोरा! मैं एक गांव hindi sex story में रहने वाला लड़का हूँ। यह कहानी शत प्रतिशत सही है, इस गर्लफ्रेंड मॉम सेक्स कहानी में केवल सभी पात्रों के नाम और जगह का नाम गोपनीयता के लिए बदल दिए गए हैं। बात उन दिनों की है जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए शहर में रहता था. मैं इंजीनियरिंग के चौथा सेमेस्टर में था. तब अचानक एक दिन शहर के सब्जी बाजार में मेरी एक स्कूल की फ्रेंड जिसका नाम रेशमा था, वो मुझे मिल गयी। रेशमा के पापा सरकारी नौकरी वाले हैं तो पहले वो हमारे गाँव में उनका पोस्टिंग था तो उस समय रेशमा हमारे स्कूल में ही पढ़ती थी। फिर जब हम लोग नवमी कक्षा में आये तो उनके पापा का ट्रांसफर हो गया। तब उनकी फैमिली सभी शहर में आ गयी. उसके बाद सब्जी मार्किट में अचानक उससे मिला. 5 साल के लंबे अंतराल के बाद उसे देखा बहुत चेंज हो गयी थी, अब वो माल बन गयी थी। मैं पहले से ही उसको पसंद करता था लेकिन तब तक इतनी हिम्मत नहीं थी उसको इजहार करूँ। अचानक मिले तो दोनों ही हैरान हो गए। उसने मुझसे हाथ मिलाया. काफ़ी देर तक हमने वहीं बात की फिर दोनों ने नम्बर एक्सचेंज किया. हम दोनों ने फिर से मिलने का वादा किया. फिर हम दोनों अपने अपने घर आ गए। उससे मिलने के बाद मुझे बहुत ही बेचैनी हुई उससे बात करने की लेकिन हिम्मत नहीं हो पा रही थी। लगता है कि जो मुझे फील हो रहा था उसे भी कुछ ऐसा ही एहसास हो रहा था। तब रात को 10 बजे रेशमा का कॉल आया। हमने बात करना शुरू किया. उस दिन लगातार एक घंटा बातें की, हमने पुरानी बातें याद की हमारे स्कूल की … पुरानी यादों को याद करने लगे। बातों बातों में मैंने उसकी तारीफ करना चालू कर दिया- यार रेशमा, आप मुझे स्कूल लाइफ से ही बहुत अच्छी लगती हो, आप बहुत सुंदर हो! उसने हंसते हुए कहा- चल झूठा। मैंने कहा- सच्ची यार। फिर वो कहने लगी- तुम भी कम नहीं हो किसी से, हैंडसम इंटेलीजेंट! यूँ ही हमारी बातें चलती रही. जितनी बातें हमने स्कूल की लाइफ में नहीं की, उससे ज्यादा हमने 2 घंटे में ही कर दी. मैं जिस एरिया से बिलोंग करता था, वहाँ लड़के अगर लड़कियों से बात करे, हाथ मिलाये मतलब उन दोनों के बीच कोई न कोई चक्कर है. ऐसा माना जाता था स्कूल लाइफ में। कुछ समय के पश्चात हम दोनों बहुत ज्यादा घुल मिल गए, एक दूसरे के बहुत करीब आ गए बहुत अच्छे दोस्त बन गये। फिर एक दिन उसने मुझे अपने घर पर आमंत्रित किया। मैं अगले दिन उसके घर पहुँचा. सुबह 10 बजे मैंने घर की डोरबेल बजाई. जैसे ही दरवाजा खुला, लगता है उस दिन से चुदाई के लिये मेरी किस्मत का दरवाजा खुल गया। दरवाजा जैसे ही खुला तो मैंने देखा कि एक 40 वर्ष की महिला 5 फीट 8 इंच की हाईट, गदराया हुआ सांवला बदन, 34-30-36 का फिगर, नाभि के नीचे बंधी साड़ी, टाइट ब्लाउज जिसमें उनका क्लीवेज साफ साफ दिख रहा था। मैं कुछ पल तो उनको ही देखता रहा. मैं भूल गया था कि मैं रेशमा से मिलने आया हूँ। उन्होंने मुझसे कहा- तुम कौन? अपने आपको संभालते हुए कहा मैंने आँटी के पैर छूकर उनको प्रणाम किया। फिर मैंने अपना परिचय दिया- मैं राहुल गांव से हूँ, रेशमा से मिलने आया हूँ. तो उन्होंने कहा- अच्छा, तुम वही राहुल हो बेटा! 5 साल हो गये बेटा गांव से यहां आए हुए! तुम बहुत चेंज हो गए हो, मैं पहचान नहीं पा रही थी। चलो अंदर आओ। फिर मैंने भी उन्हें छेड़ते हुए कहा- आप भी बहुत बदल गयी हो आंटी … शहर में आने के बाद बहुत मॉडर्न हो गयी हो। हंसते हुए उन्होंने कहा- चलो चलो अंदर बैठो. बाहर ही सारी बात करनी है क्या? बहुत दिनों के बाद गांव वालों से मिलना हो रहा है। फिर मैंने आंटी से पूछा- रेशमा कहाँ है? तो उन्होंने बताया- वो नहा रही है। फिर ऑन्टी मुझसे हाल चाल पूछने लगी गांव के! मैं उनसे बात कर रहा था, साथ साथ उनके ब्लाउज से झाँकती हुई चूचियों को देख रहा था। जब गांव में थी आँटी तो कितनी सिम्पल रहती थी … अब शहर में आ गयी तो पूरी पटाखा हो गई थी। फिर थोड़े समय के बाद रेशमा आ गयी. मुझे देखकर वो बहुत खुश हो गयी और कहने लगी- बहुत अच्छा किया कि तू आ गया. मैं
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